सांसों को बहुत समझाया
बहुत दूर तक
मेरे साथ चलना
पर वो नहीं मानी
टूटकर बिखर गईं
मेरे ही सीने पर
मेरे स्नेह से लिपटी हुई
मेरी सुंदर गुडिया सी
समेत लेता मै लेकिन
न जाने कहाँ से
सख्ची भाव कुछ जागा
और मै देखता रहा उस प्रणय यौवन को
अहर्निश ----
पर आश्चर्य कुछ दिखाई न दिया
हमारे जिन्दा होने का सबूत मिट gaya
फिर भी लोग पूछते हैं
कैसे हो ......
Saturday, May 28, 2011
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