बहुत दूर तक देखो हमारी सांसों का एहसास बड़ी सिद्दत से महसूस करोगे , दोस्तों ये दुनिया जिसे कुछ लोग भ्रम कहते हैं, और कुछ लोग इसे उपभोग समझाते हैं, लेकिन जीवन ब्रहमांड और प्रकृति कैसे आपस में गुंथे हुए हैं, इसे समझने के लिए अपने अंदर जगानी है संवेदनाओं की प्यास अनुभूतियों की भूख और हमारा साथ, हमारे से तात्पर्य साहित्य और अध्यात्म,
मनोज अनुरागी
Wednesday, June 24, 2009
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