मित्रों,
ये जगत एक विराट धुंध में खोया हुआ जीव जगत है। जीवन में कैसी-कैसी धुंध है, हम अपने अनुभव आपके साथ बाँटने के लिए आ गए हैं धुंध जगत लेकर। मैं हूँ मनोज अनुरागी। एक ऐसा व्यक्ति जो संवेदनाओं के स्तर पर जीवन की परिकल्पना करता है। और आपसे भी उम्मीद करता है की आप भी इस संवेदना के स्तर पर अपनी चेतना को लाने का प्रयास करेंगे।
आप तैयार हो जाइये इस धुंध से परिचित होने के लिए।
आपका मनोज अनुरागी
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