Tuesday, October 1, 2013

ये चरचा है

बहुत दिन बाद आया हु बहुत सारी चरचाए है, उत्तराखण्ड की आपदा ने पूरे देश को हिला दिया, सोचने को विवश कर दिया. लेकिन फ़िर भी समाज अपनी गति मे कोई परिवर्र्तन लाने को कटिबध दिखाई नही देता. फ़िर वही चर्चा, जिस दिन से आपदा आई है उसी दिन से मुखिया बद्ल्ने की चर्चा आखिर राज्य को किधर ले जा रहे है, ये ठीक नही है, जो नेता नेता ही न हो उस्के हाथो मे रज्य की कमान देना बहुत बडा अन्याय है. सब आपस मे ही लड्ते रहेगे तो रज्य वसियो क क्या होगा.  

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